05-16 दिसंबर, 2022 के दौरान एनईसैक आटरीच सुविधा में 05-16 दिसंबर, 2022 के दौरान वानिकी और पारिस्थितिकी प्रभाग (एफईडी) एनईसैक द्वारा “वानिकी और पारिस्थितिकी में रिमोट सेंसिंग व जीआईएस अनुप्रयोग” पर दो सप्ताह का लघु पाठ्यक्रम आयोजित किया गया था। पाठ्यक्रम में कुल 41 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें वन विभाग के अधिकारी, कॉलेजो और विश्वविद्यालयों के संकाय सदस्य, शौधार्थी और स्नातकोत्तर छात्र शामिल थे। उद्गाटन कार्यक्रम की शुरूआत पाठ्यक्रम अधिकारी डॉ. ध्रुवल भवसार के स्वागत भाषण से हुई और इसके बाद प्रतिभागियों का परिचय हुआ। श्रीमती एच.सुचित्रा देवी, पाठ्यक्रम निदेशक द्वारा पाठ्यक्रम के अवलोकन की जानकारी दी गई। डॉ. के.के.शर्मा, समूह प्रमुख, रिमोट सेंसिंग और एप्लीकेशन ग्रुप द्वारा पाठ्यक्रम पर टिप्पणी दी गई। डॉ.एस.पी.अग्रवाल, निदेशक, एनईसैक ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और वन प्रबंधन, वन कार्य योजना तैयार करने, कार्बन स्टॉक मूल्यांकन, जलवायु परिवर्तन आदि जैसे वन पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न अनुप्रयोगों में भूस्थानिक प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रतिभागियों को संबोधित किया।
प्रशिक्षण में रिमोट सेंसिंग और जीआईएस, अनुप्रयोगों में शामिल विषय वन आवरण और घनत्व मानचित्रण, बढ़ते स्टॉक और बायोमास मूल्यांकन, वन्यजीव आवास मूल्यांकन, प्रजाति वितरण मॉडलिंग, दावानल निगरानी और दग्ध क्षेत्र का आकलन है। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को यूएवी, हाइपरस्पेक्ट्रल, माइक्रोवेव और लीडर (LiDAR) रिमोट सेंसिंग जैसे उन्नत रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों का संक्षिप्त परिचय दिया गया। कुछ उन्नत सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी पर व्याख्यान देने के लिए अतिथि शिक्षकों को भी आमंत्रित किया गया यथा – डॉ. हितेन्द्र पडालिया (वैज्ञानिक, आई.आई.आर.एस, इसरो) वन और जलवायु परिवर्तन पर, डॉ. भरत लोहनी(प्रोपेसर, आई.आई.टी-कानपुर) लिडार रिमोट सेंसिंग पर, डॉ. गुलाब सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर, ई.आई.टी-मुंबई) माइक्रोवेब रिमोट सेंसिंग पर।
समापन कार्यक्रम 16 दिसंबर, 2022 को आयोजित किया गया था, जहाँ डॉ. सुभाष आशुतोष, आईएफएस, सह अध्यक्ष और निदेशक(सीओई, एनआरएम और एसएल), एमबीडीए ने इस अवसर पर शिरकत की। पाठ्यक्रम अधिकारी डॉ. ध्रुवल भवसार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।