भूविज्ञान प्रभाग (जीएसडी), एनईसैक द्वारा 30 जनवरी से 10 फरवरी, 2023 के दौरान एनईसैक आउटरीच सुविधा में “भूविज्ञान में रिमोट सेंसिंग और जीआईएस के अनुप्रयोग” पर दो सप्ताह का लघु पाठ्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. के.के.शर्मा, समूह प्रमुख, आरएसएजी द्वारा किया गया। जहां डॉ. जोनाली गोस्वामी, समन्वयक, आउटरीच कार्यक्रम, एनईसैक ने औपचारिक रूप से पाठ्यक्रम प्रतिभागियों का स्वागत किया। देश के विभिन्न हिस्सों से कुल 18 प्रतिभागियों ने पाठ्यक्रम में भाग लिया जिसमें छात्र, कॉलेजो और विश्वविद्यालयों के संकाय सदस्य, शोधार्थी और स्नातकोत्तर छात्र शामिल थे। श्री एम सोमोरजीत सिंह, प्रमुख जीएसडी पाठ्यक्रम निदेशक थे जबकि डॉ. गोपाल शर्मा, वैज्ञानिक जीएसडी पाठ्यक्रम समन्वयक थे। इस पाठ्यक्रम में अभ्यास/व्यवहारिक, भूवैज्ञानिक क्षेत्र कार्य..सर्वेक्षण के बाद व्याख्यानों की श्रृंखला शामिल थी और भूविज्ञान में कुछ उन्नत रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों के लिए बुनियादी रिमोट सेंसिंग और जीआईएस हैंड्स-ऑन शामिल थे। पाठ्यक्रम को प्रतिभागियों को रिमोट सेंसिंग से जुड़ी वैज्ञानिक अवधारणाओं और भूविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में इसके अनुप्रयोगों की समझ प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था। प्रौद्योगिकी के कुछ विशिष्ट विषयों पर व्याख्यान देने के लिए अतिथि संकायों यथा- माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग और भूविज्ञान में इसके अनुप्रयोग पर श्री हरि शंकर(वैज्ञानिक, आईआईआरएस, इसरो), जीएनएसएस डाटा प्रोसेसिंग और गुणवत्ता जांच पर श्री करण नायक(पीएच.डी स्कोलर, सिनालोवा विश्वविद्यालय, मैक्सिको) को आमंत्रित किया गया था। डॉ. निंगथौजम सूरदास सिंह (वरिष्ठ भूवैज्ञानिक, जीआईएस, शिलांग) द्वारा प्रतिभागियों के लिए एक दिवसीय भूवैज्ञानिक क्षेत्र अध्ययन 6 फरवरी, 2023 को सोहरा, चेरापूंजी में और उसके आसपास आयोजित किया गया था।
पाठ्यक्रम का समापन कार्यक्रम 10 फरवरी, 2023 को आयोजित किया गया था। डॉ. एस.पी.अग्रवाल, निदेशक, एनईसैक ने अपने संबोधन के दौरान पाठ्यक्रम के सफल समापन पर सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और पाठ्यक्रम प्रमाणपत्र वितरित किया। समापन सत्र के दौरान कई अच्छी प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हुई है। कुछ प्रतिभागियों ने अधिक संख्या में मॉडलिंग और व्यवहारिक अभ्यास, लाइव डैशबोर्ड और जियोपोर्टल के प्रदर्शन को शामिल करने का सुझाव दिया है। कार्यक्रम का समापन पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. गोपाल शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन क साथ हुआ।